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पानी हो जाना

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बेवजह है रास्ते ढूँढना भटकना ओर उन रास्तों में कोई चुनना फिर किसी एक रास्ते में खो जाना , चलते चलना ,उठना ,गिरना , राहगिर पहचान ना !! बेहतर है […]

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मस्तिष्क की शरण में

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[vc_column width="1/4"][vc_column width="3/4"]स्वप्न अचम्भित करते हैं .. दिवस रात्रि विचलित करते हैं .. यथार्थ छलता है ... जीवन मार्ग में भटकाता है .. आत्मा आश्वासन देती है .. कर्म करने [...]
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