All

वसन्त

0

ये  वसन्त है , जब भू धरा अपने मृत अंशो को , त्याग देतीं है पुनर्जीवन के लिए, प्रकृति ओढ़ती है नयापन भूल के सब बीते विपद आपद नवजीवन नवप्रारंभ होता […]

Read More

Popular Posts

वसन्त

0

ये  वसन्त है , जब भू धरा अपने मृत अंशो को , त्याग देतीं है पुनर्जीवन के लिए, प्रकृति ओढ़ती है नयापन भूल के सब बीते विपद आपद नवजीवन नवप्रारंभ होता है बीते कालक्रम में खोए होते है ;इसने अपने कई अंश … जल में ,ताप में ,शीत में .. सब स्वीकार्य भाव से , वो झेल कर सब प्रहार पुनः उठती है […]

Read More

मस्तिष्क की शरण में

4
[vc_column width="1/4"][vc_column width="3/4"]स्वप्न अचम्भित करते हैं .. दिवस रात्रि विचलित करते हैं .. यथार्थ छलता है ... जीवन मार्ग में भटकाता है .. आत्मा आश्वासन देती है .. कर्म करने का व्यसन देती है .. हृदय भ्रमित करता है ... अस्थिर हो अवसर वंचित करता है .. अंततः मस्तिष्क की शरण में गंतव्य का मर्गदर्शन होता है .. शांति का साहचर्य होता [...]
Read More