मस्तिष्क की शरण में

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स्वप्न अचम्भित करते हैं ..
दिवस रात्रि विचलित करते हैं ..

यथार्थ छलता है …
जीवन मार्ग में भटकाता है ..

आत्मा आश्वासन देती है ..
कर्म करने का व्यसन देती है ..

हृदय भ्रमित करता है …
अस्थिर हो अवसर वंचित करता है ..

अंततः मस्तिष्क की शरण में गंतव्य का मर्गदर्शन होता है ..
शांति का साहचर्य होता है …
आनंद का प्रवाह स्फुटित होता है ..

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